Mitti

Vishal Dadlani

Compositor: Vishal-Shekhar / Kumaar

ले तेरी मिट्टी तुझे लौटा द
तेरा कर्ज चुकाया ह
कभी दुश्मन के आगे झुका न सर ज
तेरे आगे झुकाया ह

मरना भी तुझपे जैसे कोई जशन यार
मौत नसीबो वाली मिलती है कम
तेरी जमीन पे लूंगा फिर मैं जनम
ताकि फिर बोल पाउं वन्दे मातरम

सुजलम सुफलम मलयज शीतलम
सस्य श्यामला वन्दे मातरम
सुजलम सुफलम मलयज शीतलम
सस्य श्यामला वन्दे मातरम

ज़्यादा नहीं है यारों कुर्बानी देने वाल
देश के नाम पे अपनी जवानी देने वाल
हर रिश्ते से पहले वतन को रखने वाल
वतन की ख़ातिर चिता पे बदन को रखने वाल

राख हुआ तो क्या हुआ मैं धुआं तो क्य
सरहद पे पहरा दूंगा बनके पवन

सुजलम सुफलम मलयज शीतलम
सस्य श्यामला वन्दे मातरम
सुजलम सुफलम मलयज शीतलम
सस्य श्यामला वन्दे मातरम

सुजलम सुफलम मलयज शीतलम
सस्य श्यामला वन्दे मातरम
सुजलम सुफलम मलयज शीतलम
सस्य श्यामला वन्दे मातरम

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